शुक्रवार, 16 जुलाई 2010

11-07-2010 बैठक में हुई बातचीत का सार संक्षेप

बैठक के सदस्यों ने 11 जुलाई को हुई अपनी बातचीत में इसकी हदें तय करने की कोशिश की। सदस्यों ने कहा कि अब चूंकि बैठक एक ठोस शक्ल ले रही है इसलिए इसकी दिशा और सीमाएं निर्धारित की जानी चाहिए। आम राय थी कि इसे साहित्य, संस्कृति, कला और इनसे संबंधित विषयों तक ही सीमित रखा जाए। लेकिन कुछ सदस्यों का कहना था कि इसमें राजनीतिक, सामाजिक और जनआंदोलनों से जुड़े विषयों पर भी चर्चा की जानी चाहिए।

सदस्यों का कहना था कि बैठक को अपने सदस्यों की सृजनशीलता को विकसित करने का जरिया भी बनना चाहिए। बैठक को दो भागों में बांटने का प्रस्ताव भी रखा गया जिसके एक भाग में तय मुद्दे पर बातचीत हो और दूसरा ओपन सेशन रहे।

सर्वश्री अनिल दुबे, डा0 लाल रत्नाकर, कृष्ण सिंह, प्रकाश चौधरी, राम शिरोमणि शुक्ल, सुदीप ठाकुर, तड़ित कुमार और विनोद वर्मा ने पार्थिव कुमार के निवास पर हुई इस बैठक में शिरकत की। सर्वश्री शाहिद अख्तर, अशोक कुमार राणा और परमानंद इसमें पहली बार शामिल हुए।