बुधवार, 26 जनवरी 2011

एक पाती बापू के नाम


विनोद वर्मा विनोद वर्मा | शुक्रवार, 21 जनवरी 2011, 15:32 IST

बापू तुमको नागार्जुन याद है? अरे वही यायावर, पागल क़िस्म का कवि जो तुम्हारे जाने के बाद जनकवि कहलाया? वही जिसे लोग बाबा-बाबा कहा करते थे.
उसने तुम्हारे तीनों बंदरों को प्रतीक बनाकर एक कविता लिखी थी. लंबी कविता की चार पंक्तियाँ सुनो,
बापू के भी ताऊ निकले तीनों बंदर बापू के
सरल सूत्र उलझाऊ निकले तीनों बंदर बापू के
सचमुच जीवन दानी निकले तीनों बंदर बापू के
ज्ञानी निकले, ध्यानी निकले तीनों बंदर बापू के

तुमको बुरा लग रहा होगा कि तुम्हारे बंदरों के बारे में ये क्या-क्या लिख दिया. लेकिन तुम्हारे बंदर सचमुच ऐसे ही हो गए हैं. तुम्हारे जीते-जी तो वे तुम्हारी बात माने आँख, कान और मुंह पर हाथ रखे बैठे रहे. लेकिन उसके बाद उन्होंने वही करना शुरु कर दिया जिसके लिए तुमने मना किया था.
देखो ना जिस बंदर से तुमने कहा था कि बुरा मत देखो वह इन दिनों क्या-क्या देख रहा है. उसने देखा कि खेल का आयोजन करने वाले सैकड़ों करोड़ रुपयों का खेल कर गए और देश की रक्षा करने वाले आदर्श घोटाला कर गए.
तुम दलितों के उत्थान की बात करते रह गए लेकिन तुम्हारा बंदर देख रहा है कि एक दलित का इतना उत्थान हो गया कि उस पर एक लाख 76 हज़ार करोड़ रुपए के घोटालों का आरोप लगने लगा.
उसने एक दिन देख लिया कि तुम्हारी कांग्रेस की नेत्री तुम्हारी विशालकाय तस्वीर के सामने एक किताब का लोकार्पण कर रही हैं जिसमें कहा गया है कि वह भी तुम्हारी तरह महान त्याग करने वाली हैं.
वह देख रहा है कि एक दलित लड़की से बलात्कार हो रहा है और जिस पर बलात्कार का आरोप है वह नाम से तो पुरुषोत्तम है यानी पुरुषों में उत्तम लेकिन बयान दे रहा है कि वह नपुंसक है.
और जिस बंदर को तुम कह गए थे कि बुरा मत सुनना वह जहाँ-तहाँ जाकर तरह-तरह की बातें सुन रहा है.
वह सुन रहा है कि देश का प्रधानमंत्री कह रहा है कि महंगाई इसलिए बढ़ रही है क्योंकि आम लोगों के पास बहुत पैसा आ गया है.
संघ याद है ना तुम्हें? वही गोडसे वाला संघ. तुम्हारा बंदर सुन रहा है कि संघ के नेता अब जगह-जगह विस्फोट आदि भी करने लगे हैं जिससे कि मुसलमानों को सबक सिखाया जा सके.
उसने सुना है कि जनसेवक अब बिस्तर पर नहीं सोते बल्कि नोटों पर सोते हैं. वही तुम्हारी तस्वीरों वाले नोटों के बिस्तर पर. दो जनसेवकों ने शादी की और उनके पास 360 करोड़ रुपयों की संपत्ति निकली है.
और वो बंदर जिसे तुमने कहा था कि बुरा मत कहना वह तो और शातिर हो गया है. वह कहता तो कुछ नहीं लेकिन वह लोगों से न जाने कैसी कैसी बातें कहलवा रहा है.
अभी उसने सुप्रीम कोर्ट के जज से कहलवा दिया कि विदेशों में रखा काला धन देश की संपत्ति की चोरी है. कैसी बुरी बात है ना बापू, लोग इतनी मेहनत कर-करके बैंकों में पैसा जमा करें और जज उसे चोरी कह दे?
एक दिन वह नीरा राडिया नाम की एक भली महिला के कान में पता नहीं क्या कह आया कि उसने फ़ोन पर न जाने कितने लोगों से वो बातें कह दीं जो उसे नहीं कहनी चाहिए थीं.
अपनी दिल्ली में एक अच्छे वकील हैं शांति भूषण. न्याय के मंत्री भी रहे हैं. तुम्हारे बंदर ने उनसे कहलवा दिया है कि सुप्रीम कोर्ट के कितने ही जज भ्रष्ट हैं.
जज को बुरा कहना कितनी बुरी बात है. लेकिन तुम्हारा बंदर माने तब ना. उसने एक और जज से कहलवा दिया कि तुम्हारे नेहरु के इलाहाबाद का हाईकोर्ट सड़ गया है.
लेकिन ऐसी बुरी बातों का बुरा मानना ही नहीं चाहिए. अब दामाद आदि घोटाला कर दें तो इसका बुरा मानकर किसी पूर्व मुख्य न्यायाधीश को किसी पद से इस्तीफ़ा तो नहीं दे देना चाहिए ना?
ऐसा नहीं है कि बापू कि सब कुछ बुरा ही बुरा है. एक अच्छी बात यह है कि तुम्हारे तीनों बंदरों की आत्मा अब भी अच्छी है और अब वह लोकतंत्र के चौथे खंभे में समा गई है.
इसलिए मीडिया या प्रेस नाम का यह स्तंभ अब न बुरा देखता है, न सुनता है और न कहता है. वह सिर्फ़ अच्छी-अच्छी बातें कहता-लिखता है वह भी पैसे लेकर.
तुम नागार्जुन की बंदर वाली कविता पूरी पढ़ लो तो यह भी पढ़ोगे,
बापू को ही बना रहे हैं तीनों बंदर बापू के

बात तो बुरी है बापू लेकिन चिंता मत करो, 30 जनवरी आने वाली है. तुम्हारी पुण्यतिथि. और पूरा देश बारी-बारी से
राजघाट जाकर माफ़ी मांग लेगा. तुम भी देखना, टीवी पर लाइव आएगा. 

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